
जौनपुर : कहते हैं नदियां जीवनदायिनी होती हैं। जिन नगरों और कस्बों से नदियां होकर गुजरती हैं वहां के लोग स्वयं को भाग्यवान समझते हैं। लेकिन जौनपुर में ऐसा नहीं है। यहां नगर से सटी गोमती नदी जीवनदायिनी नहीं बल्कि कई बीमारियों की जन्मदाता बन चुकी है। यहां कूड़े के ढेर सड़ने से वातावरण दूषित हो रहा है।और आसपास का भूगर्भीय जल भी प्रदूषित कर रही है।

इस समस्या से पार पाने के लिए कई महीने पहले नगरपालिका परिषद ने नगर का दूषित पानी नदी तक पहुंचने से पहले रोककर उससे गंदगी निकालने और फिर नदी में छोड़ने की योजना बनाई थी, लेकिन इस योजना पर बिल्कुल भी काम नहीं हो सका। नगर के गंदे पानी के नाले सीधे नदी में डालने से नदी काफी प्रदूषित हो रही है।

नगर की अधिकांश जलनिकासी नालों के माध्यम से नदी हो रही है। गंदे पानी के साथ-साथ पालीथिन युक्त कूड़ा नदी में गिर रहा है। नदी में गंदा पानी गिरने से नदी तो प्रदूषित हो रही है साथ ही गंदगी के चलते रोगों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है।नगर पालिका ने नदी में गंदा पानी रोकने के लिए पक्के व कच्चे नालों में जाल लगाने की योजना बनाई थी, लेकिन योजना कागजों में सिमट कर रह गई है।

वही एक और विसर्जन घाट व गोपी घाट के मध्य में बने विसर्जन कुंड बनाए जाने से हो रही कई बीमारियां उत्पन्न।

कुंड में दूषित पानी बहाया जा रहा है व कूड़ा करकट भी फेंका जा रहा है जिससे कि आसपास के इलाकों में गंभीर बीमारियां उत्पन्न कर रही है और ना तो इसका कोई समाधान किया जा रहा है आखिर क्यों चुप है नगर पालिका, शासन, प्रशासन व मंत्रिमंडल।