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जौनपुर: जिले का स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल बेलगाम हो गया है जिसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी टीम जिम्मेदार हैं। हर स्तर पर लूट मची हुई है। जब मुखिया ही गले तक भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है तो वह अधीनस्थ अधिकारीयों और कर्मचारियों को कैसे ईमानदार रख सकता हैं।
इन दिनों जनपद में एक प्रकरण खासी चर्चा में हैं वह है क्षय रोग चिकित्सालय के उच्चीकरण का मामला। वर्ष 2006 में स्थापित क्षय रोग चिकित्सालय की स्थिति बहुत ही खराब है। 48 बेड वाले उस अस्पताल को देखने से पता चलता है कि जैसे यह अस्पताल बिल्कुल लावारिस हो चुका है जबकि यह अस्पताल जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय के ठीक बगल में ही स्थित है।

उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य एवम् चिकित्सा महानिदेशालय ने अपने पत्रांक संख्या 11 एफ प्रस्ताव 2024 – 25/334 एवम् तिथि 8 अप्रैल 2024 के सापेक्ष जौनपुर क्षय रोग चिकित्सालय के उच्चीकरण के लिए तीन करोड़ 27 लाख 27 हजार की धनराशि आवंटित की गई थी। इस धन से कई अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद की जानी थी जिसे क्षय रोगियों की चिकित्सा में सुविधा होती किंतु आरोप है कि यह सारा पैसा कागज पर ही खर्च कर दिया गया। रोगियों के हित में की जाने वाली व्यवस्थाएं धारी की धरी रह गई।
तीसरी आंख की टीम जब टीवी अस्पताल का निरीक्षण करने मौके पर पहुंची तो वहां आश्चर्यजनक दृश्य देखने को मिला।

उदाहरण के लिए- इस चिकित्सालय में एक बड़ा सा हाल है जिसमें कई कार्यालय चल रहे हैं पहला कार्यालय ड्रग इंस्पेक्टर का है जिसके प्रभारी जिला मजिस्ट्रेट हैं वहां के कर्मचारी भी दिखलाई पड़े। दूसरा कार्यालय दिव्यांग बोर्ड का है यहां भी दिव्यांगों की जांच पड़ताल की व्यवस्था की गई है। तीसरा कार्यालय औषधि निरीक्षक कार्यालय है जहां दवाइयां की जांच पड़ताल होती है। चौथा कार्यालय जिला मलेरिया अधिकारी का है और पांचवा औषधि का विशाल स्टोर है जहां दवाइयां भरी हुई हैं । यहां से जिले के समस्त पीएचसी, सीएससी और अन्य दवा केदो पर दवाइयां भेजी जाती हैं। कुल मिलाकर यह अस्पताल कम दवाइयां का स्टोर ज्यादा लगता है।

यह तो जिले का एक मात्र टीवी अस्पताल की स्थिति है। जिले के देहात क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था भी राम भरोसे चल रही है। एकाध बानगी देना यहां जरूरी होगा।
धर्मापुर ब्लॉक क्षेत्र में तीन सरकारी अस्पताल है।
तीनों अस्पताल जनपद मुख्यालय एवं सीएमओ कार्यालय से मात्र 11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चौरसंड (गौराबादशाहपुर) में डॉक्टर मनोज कुमार सिंह अधीक्षक पद पर तैनात हैं किंतु यह भूल- बस भले ही कभी आ जाते हो अन्यथा कभी नहीं आते। गौराबादशाहपुर में भी एक स्वास्थ्य केंद्र है इस पर डॉक्टर सुनील कुमार तैनात है। ये इतने अच्छे आदमी हैं कि जनता इनके दर्शन के लिए तरस जाती है। पता करने पर मालूम हुआ कि लालगंज आजमगढ़ में तिलक गार्ड मोहल्ले में डॉक्टर सुनील कुमार रेशमा नर्सिंग होम के नाम से एक निजी अस्पताल चला रहे हैं। वेतन तो सरकार से लेते हैं पर काम अपना कर रहे हैं। इन्हें अनुशासन प्रिय मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आशीर्वाद प्राप्त है। इस अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों के आवास में पुलिस चौकी बनी हुई है। यहां 112 नंबर वाले सिपाहियों का आवास बना हुआ है। आश्चर्य है कि स्वास्थ्य केंद्र पर प्रति रविवार को स्वास्थ्य मेला भी सरकार के खर्चे से लगाया जाता है। इस मेले में आने वाले रोगियों का नियमानुसार रजिस्टर बना हुआ है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सब कार्यक्रमों की जानकारी है और यह सब उनके आशीर्वाद से ही चल रहा है। यही है इस जनपद के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी की स्थिति और यहां की चिकित्सा व्यवस्था।
