जिले में 73 – जौनपुर लोकसभा क्षेत्र में बसपा प्रत्याशी श्री कला धनंजय सिंह के आ जाने से हाथी ने समूचा खेल ही बिगाड़ दिया है। अब इस लोकसभा क्षेत्र में इंडी गठबंधन से बाबू सिंह कुशवाहा, बहुजन समाज पार्टी से श्री कला धनंजय सिंह और भाजपा से कृपा शंकर सिंह स्पष्ट रूप से मैदान में है। इस लोकसभा क्षेत्र से बाबू सिंह कुशवाहा के आने से स्थिति कुछ बदल रही है। बाबू सिंह कुशवाहा बसपा के ही मंत्री रहे जब धनंजय सिंह बसपा के सांसद रहे। दोनों में अच्छा संबंध था बसपा के कद्दावर नेता बाबू सिंह कुशवाहा को जब जौनपुर से उम्मीदवार बनाया गया तो उन्हें इस बात का गुमान था कि धनंजय सिंह तो उनके साथ ही होंगे।
उनकी बिरादरी का और उनके कुछ प्रभाव क्षेत्र का वोट हमें मिलेगा। अखिलेश के चलते यादवों का बहुमत हमें ही मिलेगा और सीट आसानी से निकल जाएगी लेकिन अब स्थिति बिगड़ गई है। अब वह थोड़ा हताश हैं एक वार्ता में बाबू सिंह कुशवाहा ने बताया कि हम इंडि गठबंधन से संविधान बचाने के लिए, महंगाई और बेरोजगारी समाप्त करने के लिए, किसानों की समस्या को जड़ से समाप्त करने के लिए और देश में कानून का राज पुन: स्थापित हो, इसके लिए इस गठबंधन से चुनाव लड़ रहे हैं।
आज देश में लोकतंत्र के ही स्थिर न रहने का खतरा पैदा हो गया है नरेंद्र मोदी जो देश के प्रधानमंत्री हैं, संवैधानिक व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं, इसलिए जरूरी है कि सारे दल एक होकर के इस पार्टी को समाप्त करें और फिर से देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था का राज स्थापित हो। बाबू सिंह कुशवाहा का कहना है की वर्तमान स्थिति में भी विजय हमारी ही होगी। यादव बिरादरी का बहुत बड़ा संगठन हमारे साथ होगा साथी ही जौनपुर का सवर्ण जो उच्च शिक्षित है वह जाति बिरादरी को त्याग करके देश के हित में हमारे साथ रहेगा। इधर जब से श्री कला धनंजय सिंह को बसपा का उम्मीदवार होने की चर्चा शुरू हुई है, भाजपा प्रत्याशी कृपा शंकर सिंह के खेमे से उनकी बिरादरी के नौजवान, नेता, शिक्षक जैसे लोग इधर आ गए। धनंजय सिंह के आवास पर घहमाघहमी काफी तेज हो गई है। कृपा शंकर की स्थिति नाजुक है लेकिन वह एक घुटे हुए पुराने नेता हैं, अपने पक्ष में मतदान कैसे प्रभावित किया जाता है यह बखूबी जानते है यहां से महाराष्ट्र तक लड़ चुके हैं और घाट – घाट का पानी पी चुके हैं कुछ पुराने पत्रकार रात दिन उनके साथ इसीलिए टहल रहे हैं कि उनको किसी भी प्रकार विजयश्री मिले फिर भी हालत बहुत अच्छी नहीं लगती है ऐसा प्रतीत हो रहा है कि हाथी अपनी ही चाल – चल रहा है।