
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी पिछले 10 वर्षों में काफी तरक्की कर लिया है किंतु इस जनपद के बगल में ही स्थित जौनपुर बदहाली का शिकार है। शहर की टूटी-फूटी सड़कें, गंदे नाले का रुप ले चुकी आदि गंगा गोमती, चकमार्ग और पगडंडिया यह बता रही है कि ऐसा प्रतीत होता है कि भले ही अपने वाराणसी क्षेत्र में प्रधानमंत्री का विशेष ध्यान हो किंतु जौनपुर की ओर तो उनकी कृपा दृष्टि बिल्कुल ही नहीं है। शासन प्रशासन की स्थिति और भी खराब है।उदाहरण देखें – खराब हालत राजस्व, विकास, प्रशासन और पुलिस विभाग की है। राजस्व विभाग में ऐसा लगता ही नहीं है कि आम जनता की असुविधा के बारे में कोई सोचने वाला नही है। तहसील से लेकर जिला मजिस्ट्रेट तक और चकबंदी अधिकारी से लेकर उप संचालक चकबंदी तक की अदालतो में मुकदमो का ढेर है। प्रतिदिन दो-दो सौ के करीब मुकदमे लगते हैं। यदि वकीलों की हड़ताल एवं शोक बंदी से अदालत बची रही तो एक दर्जन मामलों को देखते-देखते अदालते बंद हो जाती है। फिर तारीख आगे बढ़ जाती है लगभग दशियो मुकदमे इसमें और जुड जाते हैं। यही नायब तहसीलदार, अपर तहसीलदार, तहसीलदार, उप जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, मुख्य राजस्व अधिकारी, और जिला मजिस्ट्रेट के अदालतो की है। प्रशासनिक और अन्य कार्यक्षेत्र में भी भी जैसे मरणोपरांत खतौनी आदि में खारिजा का मामला बरसों तक लटका रहता है। शासनादेश है कि इसे अधिकतम मृतक के नाम का अंतरण में लगभग एक महीने का समय लगना चाहिए। लेकिन यहां तरमीन की फाइलें सालों तक लटकी रहती है। यह लोग पैसे का इंतजार करते हैं जब तक पैसा नहीं मिल जाता तब तक यह कार्य नहीं होता।
क्रमश: