
जौनपुर: मोहम्मदपुर ग्राम में अपने खानदान के पुराने मंदिर के जीर्णोद्धार और नवीन- विग्रह की स्थापना के लिए छोटेलाल पांडे की क्षेत्र में प्रशंसा हो रही है। ईश्वर की प्रेरणा से इस रामजनकी मंदिर का निर्माण छोटे लाल के पूर्वज बाबा तुलसीदास ने अपने गांव में उस समय कराया था जब गांव के आसपास के गावों में भी कोई मंदिर नहीं था। अनुमान है कि इस मंदिर का निर्माण बाबा तुलसीदास जी ने 1940 के आसपास कराया था। इसमें माँ सीता, भगवान राम, शेषशायी भगवान लक्ष्मण, राम भक्त हनुमान, भगवान गणेश जी और भोलेनाथ का विग्रह उसी समय श्रेष्ठ कर्मकांडी विद्वानों द्वारा स्थापित कराया गया था। बाबा तुलसीदास ने अपने हिस्से की भू- संपत्ति भी राम जानकी के नाम कर दिया था। तुलसीदास बहुत पढ़े लिखे नहीं थे वह अपनी भाषा में ही प्रसाद का भोग भी लगाते थे। प्राय: विद्वान लोग भोग लगाते समय कहते हैं कि – त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये। गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।। किंतु बाबा तुलसीदास कहते थे – कुल भोजन तइयार बा पानी भी रखा बा। भोजन में तुलसी पत्र डाल कर ईश्वर से कहते थे – ल खाए ला । दुई मिला आउर हैन अगोरत। उनके दो पालतू पशु थे एक लोमड़ी और एक नेवला। कभी-कभी एक सांप भी आ जाता था। जब भगवान भोजन कर लेते थे और पट बंद हो जाता था। तब स्वयं इन जानवरों को भोजन देते थे और बाद में अपने भोजन करते थे। यदि उसी वक्त गांव का कोई व्यक्ति आ गया तो थोड़ा उसे भी प्रसाद दे देते थे। बाबा तुलसीदास के मृत्यु के बाद उनके परिवार में इस मंदिर की देखरेख करने वाला कोई सेवादार नहीं रहा। कुछ दिन बाद उन्हीं के परिवार के रामलोचन पांडे जो मुंबई में किसी कंपनी में काम करते थे, अवकाश प्राप्त करने के बाद अपने घर आए। मंदिर की दुर्दशा और अव्यवस्था देखकर के उनसे रहा नहीं गया।

उन्होंने एक मडहा बनवाया और वहीं रहने लगे तथा मंदिर की नियमित सफाई पूजन आदि करने लगे। वे विधिवत पूजा करने के बाद मंदिर में नियमित रूप से रामायण का पाठ भी करते थे। जब पाठ की एक आवृत्ति पूर्ण हो जाती थी।तब वे हवन भी करते थे। पंडित राम लोचन की मृत्यु के बाद कई दशकों तक रामजानकी मंदिर लावारिस जैसा पड़ा रहा। महाराष्ट्र और गुजरात में अपने कारोबार का विस्तार करने वाले उसी खानदान के लायक पुत्र छोटेलाल पांडे का अचानक राम जानकी मंदिर की दुर्दशा पर ध्यान गया तो अपनी धर्म पत्नी से सलाह करके उन्होंने मंदिर को अच्छे ढंग से बनाने और पुनः प्राण प्रतिष्ठा कराने का निश्चय किया। वे पिछले साल रामजनकी मंदिर का कायाकल्प ही करवा दिया। इस वर्ष आकर वेद पाठी ब्राह्मणों से राय लेकर छोटी-छोटी पुरानी मूर्तियों की विधिपूर्वक व्यवस्था कराके नवीन विग्रह का शास्त्रीय विधि से स्थापना और प्राण- प्रतिष्ठा भी करवाया। छोटे लाल ने यह संकल्प लिया कि यह मंदिर गांव का है सभी लोग यहां पूजा – पाठ करेंगे और मंदिर की देख-देख भी करते रहेंगे । इस समय भव्य मंदिर में श्रीराम जानकी, लक्ष्मण, हनुमान, लक्ष्मी- गणेश और भगवान शंकर के नंदी के सुंदर विग्रह की स्थापना का कार्य 22 अप्रैल 2024 से प्रारंभ हुआ। प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात 24 अप्रैल 2024 से रामचरितमानस का अखंड रामायण पाठ संपन्न कराया गया फिर हवन – पूजन के पश्चात गांव वासियों को भोजन प्रसाद की व्यवस्था भी दिव्य रूप से कराई गई है। इस प्रकार पुराने राम जानकी मंदिर के जीर्णोद्धार तथा नवीन विग्रह की प्राण – प्रतिष्ठा से क्षेत्र में बड़ी खुशी व्याप्त है। लोग छोटेलाल पांडेय और उनके परिवार को इस धर्म कार्य के लिए धन्यवाद दे रहे हैं। अब लोग उम्मीद भी कर रहे हैं कि राम जानकी मंदिर की पूजा – अर्चना भविष्य में भी नियमित रूप से होती रहेगी।
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