
जौनपुर: श्री शंकर ग्रामोदय बालिका विद्यालय पांडेयपट्टी, इमलो, जौनपुर के शिव मंदिर प्रांगण में कथा का आयोजन किया गया है। राम कथा का आयोजन जौनपुर व्यास पंडित मदन मोहन मिश्रा ने राम कथा का श्री गणेश करते हुए सुधीर सरकार को बताया कि रामजन्म कर हेतु आने का परम विचित्र एक थे एक शिव पार्वती संवाद में जब राम अवतार के संबंध में पार्वती जी ने बाबा भोलेनाथ से पूछा कि आखिर भगवान को नवरत्न क्यों धारण करना पड़ता है तो महादेव ने प्रभु के अवतार का हेतु बताते हुए कहा कि जब-जब ही धर्म की हानि बढ़ ही असुर अधम अभिमानी तब तब धारी प्रभु मनोज शरीर हर कृपा निधि सज्जन पीर पंडित श्री कृष्ण ने कहा कि अवतार का हेतु एक ही है कारण अनेक है उन कर्म में एक कारण यह भी है, जिसमें देवर जी नारद का उनको अभिशाप लगा था और उसे अंगीकार करते हुए उन्होंने न रूप धारण किया था।

इससे भगवती पार्वती को आशीर्वाद की नारद तो भगवान के भक्त हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया क्या अपराध किया था। रमापति ने तो बाबा भोलेनाथ ने विस्तार से बताया कि नारद अभिशप्त हैं वह बहुत समय तक एक स्थान पर नहीं रख सकते एक बार भी घूमते टहलते एक श्रम में स्थल पर बैठकर प्रभु का ध्यान करने लगे वही उनकी समझ लग गई इधर देव राजेंद्र को संदेश हुआ कि नारद मुनि क्यों समादिष्ट हैं क्या नारद जी हमारा इंद्रलोक लेना तो नहीं चाहते हैं भयभीतेंद्र ने अपनी तपस्या उनकी तपस्या नष्ट करनेके लिए अप्सराओं को भेजो जिसमें रंभा उर्वशी मेनका आज थी लेकिन यह अप्सराय भी नारद को अखंड समाज से कुछ नहीं कर पाएंगे हां समझ से उठने के बाद जब उन्हें पता चला कि मैं अखंड ब्रह्मचारी हूं।

इंद्र भी हमारा कुछ बिगाड़ नहीं पाए तो उन्हें एक गर्व हो गया और गर्भवती प्रभु का आहार है इसी गर्भ को तोड़ने के लिए भगवान ने कुछ खेल रचा देवी पार्वती के पुनर जिज्ञासा प्रकट करने पर बाबा ने कहा कि नारद ने यह पूरी घटना विस्तार से जब शिवजी को सुनाया मैंने मुझे सुनाया तो देवर से बताया गया कि महाराज जो घटना विस्तार पूर्वक अपने मुझे सुनाया है वह कभी भी आवश्यकता पड़ने पर भी भगवान विश्व को मत सुनाया गए नारद तो आतुर से उन्हें संदेह हुआ कि भगवान शंकर की समाज तो कामदेव ने तोड़ दिया लेकिन इंद्र भी हमारी समझ नहीं तोड़ पाए इसलिए लगता है हमसे शंकर भगवान ईर्ष्या कर रहे हैं इसीलिए मना कर रहे हैं।

मैं विष्णु को यह अपना अपने उपलब्धि न बताओ तो भोले बाबा ने उनसे कहा कि आप कुछ सोचिए ना चर्चा अगर विष्णु भगवान ने की तब भी यह मत बताइएगा की जुनरथ जी बैकुंठ पहुंचकर उचित समय पर भगवान को बहुत विस्तार से अपने उपलब्धि का वर्णन किया और इस कथा में शीतला प्रसाद मिश्र आयोजक थे और गांव केप्रधान अन्य नागरिकों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई व्यवस्था उनके परिवार के लोग ही कर रहे थे इसके पूर्व प्रतापगढ़ से पधारे विद्वान आशुतोष जी ने अपनी कथा से श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया था आयोजित विद्यालय प्रबंधक शीतला प्रसाद मित्र एवं व्यवस्था मिलकर अजय कुमार धनंजय और परिवार ने क्षेत्र के तमाम लोगों का की व्यवस्था कियाऔर और लोगों से आग्रह किया कि यह सप्ताहिक कथा है सात दिन तक चलेगी आप लोग बड़ी संख्या में पधारे और विद्वान व्यासों की कथा का आनंद उठाएं