
जौनपुर: प्राइवेट माध्यम विद्यालयों द्वारा जनपद में हर वर्ष तय मानक के विपरीत शुल्क वृद्धि और हर वर्ष एडमिशन के नाम पर प्रवेश शुल्क लिया जाना शिक्षा जगत में कलंक साबित होता जा रहा है। विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों से अपने चहेते पुस्तक विक्रेता से पुस्तकों के खरीदे जाने का दबाव बनाया जाता है। ड्रेस के लिए बच्चों के अभिभावकों को एक खास दुकान से ही ड्रेस खरीदे जाने का दबाव बनाया जाना भी कमीशन खोरी का ज्वलन्त उदाहरण है।

जिला प्रशासन एवं विधायकों सहित तमाम जनप्रतिनिधियों का ध्यानाकर्षण कराते हुए कहा कि प्रतिवर्ष औसतन 50 से 80% की शुल्क वृद्धि प्राइवेट स्कूलों के संचालकों द्वारा अभिभावकों पर थोपा जाना और निर्दिष्ट दुकान से ही पुस्तकें ड्रेस खरीदे जाने का दबाव बनाए जाने से अभि भावकों की कमर टूटने लगी है शिक्षा के नाम पर औलादो के लिए सब कुछ करना हर अभिभावकों की विवशता बनती है इसलिए इस बिंदु पर विधायकों सांसदों सहित तमाम जनप्रतिनिधियों को सरकार का ध्यानाकर्षण कराना चाहिए निजी कमीशन खोरी के चक्कर में अभिभावकों का शोषण नहीं किया जाना चाहिए आगे श्री शुक्ल सत्पथी ने कहा कि पहले निजी स्कूलों में शिक्षा का अधिकार आरटीआई के तहत गरीब बच्चों को पढ़ने की योजना थी लेकिन अधिकतर स्कूलों ने इस प्रक्रिया को समाप्त कर दिया जिसमें गरीब बच्चों को शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। जनपद में ऐसे बहुतायत विद्यालय हैं जो सीबीएसई बोर्ड और आईसीएससी बोर्ड के अधीन संचालित है।

लगभग हर छोटे बड़े विद्यालय अपनी आय बढ़ाने के चक्कर में अभिभावकों को लूटते नजर आ रहे हैं यह गंभीर चिंता का विषय है इस पर सरकार और शासन सत्ता में बैठे लोगों को मनन चिंतन करते हुए प्रभावी अंकुश लगाने की जरूरत है महंगी शिक्षा और कमीशन खोरी से होनहारों के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए।