
पृथ्वी की रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य – प्रो. ध्रुवसेन सिंह
नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ना होगा- प्रो. वंदना सिंह
जौनपुर: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर, उत्त रप्रदेश के अंतर्विषयक ऊर्जा एवं जल शोध संस्थान,भू एवं ग्रहीय विज्ञानविभाग एवं लोक दायित्व, आज़मगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में विश्व पृथ्वी दिवस 2025 के अवसर ” हमारी शक्ति, हमारा ग्रह “ विषयक ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय,लखनऊ के भू विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. ध्रुवसेन सिंह ने कहा कि भारतीय संस्कृति प्रकृति की रक्षा का संदेश देती है. सभी ग्रहों में पृथ्वी पर ही जीवन है. इस ग्रह को मानव के क्रियाकलापों सेही सबसे बड़ा खतरा है. पृथ्वी के अलावा कोई ऐसा ग्रह नहीं है जो हमारे घर की तरह हो इसकी रक्षा करना हमारा नैतिक कर्तव्य है. उन्होंने कहा कि हम पानी बना नहीं सकते तो निरंतर प्रदूषित करने का अधिकार नहीं है. भारत मेंनदियों को माँ का दर्जा दिया गया. इसके किनारे सभ्यता और संस्कृति का विकास हुआ है. उन्होंने जल, वायु और स्थल मंडल को प्रदूषण मुक्त रखने के सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ाना होगा. यह जीवाश्म ईंधन की तुलना में एक बेहतर विकल्प है और प्रदूषण से मुक्ति दिलाएगी।
अध्यक्षी यसंबोधन में कुलपति प्रो. वंदना सिंह ने कहा कि हम न केवल अपने विचारों में बदलावलाएं, बल्कि अपने कार्यों,शोध और नवाचारों मेंभी बदलाव लाएं ताकि हम पृथ्वी को एक संवेदनशील,स्वच्छ और सतत दिशामें आगे बढ़ा सकें. उन्होंने कहा कि हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जो नकेवल आज के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी सुरक्षित और टिकाऊ है. उन्होंने कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे सौर,पवन, और जल विद्युत की ओर तेजी से बढ़ना होगा. वक्तालोक दायित्व, आजमगढ़ के संयोजक पवनकुमार सिंह ने कहा कि धरती का बुखार बढ़ रहा है. धरती को पौधों की हरी चुनरी से ढकनाहोगा और उसके माथे पर पानी की पट्टी लगानी होगी. उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरामें सूर्य की उपयोगिता की बेहतर समझ थी उसे देव कहा गया. आज सूर्य की इस ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ा कर पृथ्वी को सुरक्षित रख सकते है. इससे कोई प्रदूषण नहीं होता है।
डीएएडी, प्राईम फेलो कोलोन विश्वविद्यालय, जर्मनी के डॉ. आशीष कुलकर्णी ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने वैज्ञानिक दृष्टि से प्रकृति को देखा और उसके संरक्षण के सन्देश भी दिए.उन्होंने उच्च दक्षता के सोलर सेल बनाये जाने पर व्याख्यान दिया. कहा कि आने वाले समय में सौर ऊर्जा भविष्य है. अंतर्विषयक जल एवं ऊर्जा अनुसंधान केन्द्र शोध के संयोजक प्रो. गिरिधर मिश्र ने अतिथियों का स्वागत एवं विषय प्रवर्तन किया। वेबिनार का संयोजन डॉ. शशिकांत यादव,संचालन डॉ. धीरेन्द्र चौधरी एवं धन्यवाद् ज्ञापन डॉ.दिग्विजय सिंह राठौर ने किया. इस अवसर पर प्रो. मानस पाण्डेय, प्रो. राम नारायण,प्रो. देव राज, डॉ.श्याम कन्हैया सिंह, डॉ. जान्हवी श्रीवास्तव, डॉ. पुनीत धवन, डॉ.जगदेव, डॉ. सुनील कुमार, डॉ. अन्नू त्यागी,डॉ. मनोज पाण्डेय, डॉ नितेश जायसवाल समेत अन्य ने प्रतिभाग किया।