
जौनपुर: उत्तर प्रदेश में भाजपा की अप्रत्याशित पराजय के बाद अब यह जांच पड़ताल होने लगी है कि आखिर जौनपुर तथा मछली शहर दोनों ही लोकसभा क्षेत्र में भाजपा की शिकस्त क्यों हुई। अभी तक खुद भाजपा संगठन और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं राजनीतिक विश्लेषकों पत्रकारों और अन्य वर्ग के जागरूक लोगों का कथन है कि भारतीय जनता पार्टी की पराजय के कई कारण जो आम जन में इंडी गठबंधन के लोगों द्वारा प्रचारित किए गए हैं। वह हैं कि अबकी बार यदि भाजपा सत्ता में आई तो भारतीय संविधान ही समाप्त हो जाएगा। लोकतांत्रिक ढंग से यह आम जनता की भागीदारी का अंतिम उत्सव होगा दूसरा प्रचार रहा कि भाजपा सत्ता में आई तो आरक्षण व्यवस्था जो समाज के अनुसूचित, जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए बड़े संघर्ष के बाद मिली है, समाप्त कर दी जाएगी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई चैनलों से घोषणा किया कि हम परिवार की प्रत्येक महिला सदस्यों को प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए उनके खाते में खटाखट डाल देंगे जिससे देश में एक झटके में गरीबी समाप्त हो जाएगी। यह आश्वासन सरकार प्रत्येक चुनाव के पहले अपने-अपने घोषणा-पत्र में देती है लेकिन भोली- भाली और अपरिपक्व जनता उनके इस लोक लुभावन आश्वान में आ गई और अपना वेश कीमती मत देकर उन्हें 5 वर्ष के लिए राजा बना दिया। उनकी सरकारी एक नहीं अनेक बार आयी हैं और वह बार-बार वादा करके हर 5 वर्ष का समय दिए हैं। जनता समझती तो ऐसा न करती इंडी गठबंधन ने जनता के भोलेपन का पूरी तरह से फायदा उठाया। आश्चर्य है कि भाजपा नेताओं की तरफ से सरकार और संगठन से उनके इन फर्जी वादों का कभी भी जनता में खंडन नहीं किया गया जबकि आम जनता के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं इस सरकार ने दिया है। वह सब लोग अच्छी तरह जानते हैं जैसे आम जन के लिए स्वास्थ्य, सुविधा योजना, आयुष्मान कार्ड की व्यवस्था, गरीबों के लिए निः शुल्क बिजली कनेक्शन व कुकिंग गैस कनेक्शन, शौचालय की व्यवस्था, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत तमाम गरीबों के लिए आवास की व्यवस्था जैसी तमाम चीज हैं जो वह लोगों को बता सकते थे। किसानों के लिए सरकार ने पहली बार ₹6000 प्रति वर्ष का किसान सम्मान निधि योजना जारी किया है जो आज तक कायम है इसके साथ ही कश्मीर से 370 धारा की समाप्ति, तीन तलाक का कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को बहुत बड़ी परेशानी से निजात दिलाना, हर क्षेत्र में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था विदेश में अपार सम्मान दिलाकर भारत का स्थान बहुत ही ऊंचा उठाना तथा भारत की सीमा सुरक्षा व्यवस्था को अच्छी तरह से सुदृढ़ करना यह तमाम चीजे हैं जो जनता तक पहुंचा करके विपक्ष के झूठे आरोप को समाप्त किया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा उम्मीदवारों के चयन में स्थानीय संगठन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और पुराने नेताओं, पूर्व सांसदों और विधायकों और आम जनता से उम्मीदवारों के चयन में परामर्श ही नहीं लिया गया तथा और 73 जौनपुर लोकसभा क्षेत्र के लिए भाजपा प्रत्याशी घोषित कर दिया गया। ये मुंबई में कांग्रेस के नेता रहे और जौनपुर के निवासी रहे। भाजपा से इनका दूर-दूर का रिश्ता नहीं रहा। यह मुंबई में भी भ्रष्टाचार के मामले में बदनाम रहे अभी लगभग आधे दर्जन मुकदमे मुंबई की कई अदालतों में विचाराधीन है यह क्षत्रिय अवश्य हैं लेकिन स्थानीय ठाकुरों ने इनका जबरदस्त विरोध किया उनके यहां से लोकसभा सदस्य हो जाने से उनका भविष्य खराब होने का संदेह था।

आगे 2027 के विधानसभा चुनाव में भी कृपा शंकर सिंह अपने प्रभाव से मनमानी हस्तक्षेप कर सकते हैं यदि यह जीत गए तो। ज्यादातर ब्राह्मण, बनिया, श्रीवास्तव स्थानीय मंत्री के प्रभाव वाले कुछ यादव ने ही इन्हें मत दिया।इसके अलावा स्थानीय आरएसएस संगठन ने कृपा शंकर के पक्ष में कोई रुचि नहीं दी इन्हें उम्मीदवार ही नहीं माना क्योंकि आरएसएस का कहना था कि इन्हें किसी भी प्रकार इनकी उम्मीदवारी पर विचार न किया जाए। बड़ा कारण यह रहा कि 26 नवंबर 2008 को मुंबई बम विस्फोट की आतंकवादी घटना जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे, उसके बारे में कृपा शंकर ने एक पुस्तक लिखी थी जिसका विमोचन मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने किया था। उस पुस्तक में यह बताया गया है मुंबई की आतंकवादी घटना के पीछे आरएसएस का हाथ था। तीसरा कारण यह था कि बाहुबली नेता व पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्री कला सिंह को बसपा ने 73 जौनपुर क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया था।

धनंजय सिंह के प्रति सद्भावना के कारण श्री कला सिंह के पक्ष में इस क्षेत्र के हर वर्ग में मतदाता आकृष्ट हो रहा था। वे जौनपुर कारागार में बंद थे लेकिन हर वर्ग के लोग धनंजय से मिलने जेल में जाते थे।

श्री कला सिंह ने नामांकन भी कर दिया था जिसमें प्रत्येक वर्ग की अच्छी भीड़ थी। कृपा शंकर ने अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए दो काम किया। प्रदेश प्रशासन द्वारा धनंजय सिंह को जौनपुर से बरेली कारागार में स्थानांतरित करवा दिया दूसरा बसपा प्रमुख मायावती पर दबाव डलवाकर श्री कला सिंह का सिंबल वापस करवा दिया। इससे कृपा शंकर को लगा कि अब उनके सामने कोई उम्मीदवार कायदे का नहीं रहा और वह जीत जाएंगे लेकिन क्षेत्रीय वे लोग जिनकी धनंजय के प्रति सहानुभूति थी इस कार्य से बेहद नाराज हुए। मोदी के प्रभाव के चलते कृपा शंकर को जो वोट मिला, वही मिला क्योंकि लोगों ने एक बहुत बदनाम सपा उम्मीदवार बाबू सिंह कुशवाहा को विजय श्री दिलाना कृपा शंकर की अपेक्षा ठीक समझा।

यही हालात 74 मछलीशहर सांसद बीपी सरोज की है पिछले 5 वर्ष तक ये क्षेत्र में गए ही नहीं। दलालों और चापलूसों के साथ एसी गाड़ियों से सैर सपाटा करते रहे चुनाव के समय भी क्षेत्र में यदा-कदा ही गए। पत्रकारों ने जब क्षेत्र का सर्वेक्षण किया तो पता यह चला कि बीपी सरोज द्वारा बूथ पर भी कोई प्रबंध अपनी तरफ से मतदाताओं के लिए नहीं किया गया है। उनको यह लग रहा था कि हम जीत चुके हैं मतदाता तो हमें वोट देने के लिए मजबूर हैं। दूसरे तरफ सपा से उनके विरोध में प्रिया सरोज नाम की एक तेज तर्रार उच्चतम न्यायालय की अधिवक्ता प्रत्याशी थी। वही वह पूर्व सांसद तूफानी सरोज की बेटी हैं तूफानी सरोज इस क्षेत्र में तीन बार एमपी रह चुके है ।

उन्हें क्षेत्र के बारे में और यहां के लोगों के बारे में मतदाताओं के बारे में पूरी जानकारी थी उन्होंने मेहनत से प्रचार किया और प्रिया सरोज को सभी प्रमुख लोगों से परिचय कराया प्रिया सरोज की विनम्रता प्रिया सरोज की महिलाओं में पकड़ देख करके लोगों ने पहले ही अनुमान लगा लिया था यह महिला क्षेत्र के लिए कुछ करेगी। इसलिए बीपी सरोज को हटा करके लोगों ने प्रिया सरोज को एमपी बनाना उचित समझा। इसके अलावा किसानों का एक बहुत बड़ा दर्द है जो सरकार ने आज तक नहीं समझा। बात इसी सरकार की नहीं है, और सरकारे जैसे समाजवादी पार्टी की सरकार, बहुजन समाज की सरकार, कांग्रेस की सरकार, कांग्रेस गठबंधन की सरकार, इन लोगों से इसलिए आशा नहीं थी कि यह समस्या बहुत पुरानी है इन लोगों ने आज तक कुछ नहीं किया। आशा भाजपा से थी किंतु भाजपा ने कुछ नहीं किया। कहना यह है कि एक- दो दशक पूर्व किसान अपने आवश्यक सामानों के लिए बाजार पर निर्भर नहीं थे। गेहूं धान और अरहर,सरसों,मक्का, उड़द, आलू, गन्ना, हरी सब्जियां, हल्दी, धनियां जैसे मसाले आदि वे खुद पैदा कर लेते थे। गाना काफी होता था लेकिन घर्णरोज नाम के जंतु द्वारा बांसुआरा के शाही आज के द्वारा खेती के शत्रु हो गए है। किसी तरह गेहूं ही किसान पैदा कर पा रहे हैं। उसमें भी यह बहुत ही नुकसान कर देते हैं जंगली जानवर और छोटा पशु किसानों की फसल बर्बाद कर रहे हैं। काफी परेशानी के करण भाजपा किसानों ने भाजपा के विरूद्ध मतदाना किया और यही कारणों से पूर्वांचल में भाजपा हारी!
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