
लोकसभा निर्वाचन 2024 उत्तर प्रदेश में भाजपा की अप्रत्याशित पराजय पर तमाम पत्रकारों राजनीतिज्ञों भाजपा दल के कतिपय लोगों और कई युटयुबर्स द्वारा तमाम कारण बताए जा रहे हैं ।इन्हीं कारणों में गृह मंत्री अमित शाह के साथ एक वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा का नाम भी उछाला जा रहा हैं ।उनका कहना है कि केंद्र सरकार ने हेमंत शर्मा को उत्तर प्रदेश में अपना समानांतर शक्ति केंद्र बनाकर रखा है।
जिससे मुख्यमंत्री को औकात में रखा जा सके इसी कारण हेमंत शर्मा का मंत्री परिषद के सदस्यों और प्रदेश प्रशासन पर काफी प्रभाव रहा है ।अमित शाह और हेमंत शर्मा ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के बढ़ते प्रभाव को कम करने की नीयत से 2024 के लोकसभा निर्वाचन में मनमानी हस्तक्षेप करके आरोग्य और प्रभावहीन लोगों को उम्मीदवार बनाया ,जिससे प्रदेश के भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ता बहुत अप्रसन्न हुए और भाजपा की महत्वपूर्ण क्षेत्रा अयोध्या में भी पराजय हो गई ।यद्यपि विजय और पराजय में जनता जिम्मेदार होती है किंतु पराजय का ठिकरा हेमंत शर्मा के सर फोड़ा जा रहा हैं। जहां तक हेमंत शर्मा का प्रश्न है वह पत्रकारिता में 80 के दशक से सक्रिय हैं ।इंडियन एक्सप्रेस के हिंदी संस्करण जनसत्ता के लखनऊ ब्यूरो चीफ रहे हैं ।उनके सद व्यवहार के कारण राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में उनका बहुत अच्छा प्रभाव रहा है।उन्हीं दिनों उनके बहन की शादी थी जो वाराणसी से संपन्न हुई ।उस शादी में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव सहित उनकी पूरी कैबिनेट तथा केंद्र सरकार के कद्दावर मंत्री नारायण दत्त तिवारी सहित अनेक लोग मौजूद थे ।उसके पश्चात हेमंत शर्मा हिंदुस्तान के समन्वय संपादक बने। बाद में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया इंडिया टीवी में भी रहे। लगभग 2/3 वर्षों से TV9 भारतवर्ष में हैं, इस कारण उनका सम्बन्ध सत्ताधारी एवम अन्य दलों के लोगों पर भी रहा ।यह कहना कि भाजपा जैसा संगठन अपनी संसदीय समिति के निर्णय और मातृ संस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुशंसा को दरकिनार रखकर मात्र हेमंत शर्मा के कहने पर उत्तर प्रदेश के सभी लोकसभा उम्मीदवारों का चुनाव किया तो यह हास्यास्पद है । यह एक तरफा आकलन सत्य और वस्तु स्थिति से परे है ।
आज जिस प्रकार की प्रशासनिक व्यवस्था है । सिपाही से लेकर एसपी तक, लेखपाल से लेकर जिला अधिकारी तक, गांव से लेकर विकास खण्ड तक, विकास खण्ड से लेकर विकास भवन तक में जो लूटपाट मची हुई है किसी से भी यह छिपी नहीं है ।इस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है ,आम आदमी परेशान है ।जहां तक गृह विभाग में तैनाती का सवाल है, पूर्वी उत्तर प्रदेश के पुलिस हल्के में मरने के बाद भी मुख्तार अंसारी की ही चल रही है लगभग दो दर्जन जनपद ऐसे हैं जिसमें मुख्तार के गुर्गों के इशारे पर पुलिस विभाग में काम धाम चल रहा है ,कहीं कोई हस्तक्षेप स्थानीय स्तर पर यदि विधायकों या नेताओं द्वारा किया जाता है ,तो लखनऊ से फोन बज उठता है ।भाजपा संगठन से लेकर प्रशासन तक यह लोग घुसे हुए हैं। यदि आज सभी दसों संसदीय सीटों पर जो कि इस्तीफे के बाद रिक्त हो रही हैं चुनाव हो जाए तो फिर से वही स्थिति हो जाएगी। अर्थात भाजपा को पराजय का मुख देखना होगा। क्योंकि जनता इन्ही सब कारणों से त्रस्त हैं
जनता को मात्र अन्न बांटने तथा किसान सम्मान निधि देने से ही सब कुछ सही नहीं हो जाता। ।राजस्व विभाग की लापरवाही से जमीनी मुकदमे लंबित पड़े हैं ,हर तहसील में सैकड़ो वरासत के मामले दाखिल खारिज का इंतजार कर रहे हैं।
न्याय में इतना विलंब किया जाता है , कि फौजदारी हो जाती है, इस परिस्थिति के चलते ऐसे ही परिणाम आते हैं ,किसानों का कष्ट किससे कहा जाए ।घड़रोज एवं छुट्टा पशुओं के नाते छोटे और मझौले किसानों ने बुवाई ही बंद कर दिया है ।महंगी जुताई ,महंगी सिंचाई ,महंगी खाद ,बीज आदि सब बर्बाद कर देते हैं। इन समस्याओं से उन्हें किस प्रकार से निजात मिलेगी ।केसीसी का कर्ज भी किसान नहीं दे पा रहे हैं ,इसके लिए कौन जिम्मेदार है । युटयुबर्स मित्रों को मेरी यह सलाह है, कि वह सत्य को जांच परख कर ही कोई राय दे।