
श्याम नारायण पाण्डेय
जिले का स्वास्थ्य विभाग बिल्कुल बेलगाम हो गया है इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी और उनकी टीम पूर्ण रूप से जिम्मेदार है. हर स्तर पर लूट-खसोट मची हुई है या जरूरी हो जाता है कि जब मुखिया की स्थिति खराब है मुखिया ही भ्रष्टाचार में लिप्त है तब अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों की ईमानदारी कैसे हो सकती है। इन दोनों जनपद में यह खासी चर्चा है की छय रोग अस्पताल के उच्चीकरण के लिए 3 करोड़ 27 लाख रुपया शासन से आवंटित किया गया। 48 बेड वाले इस अस्पताल को देखने से ऐसा लगता है जैसे यह अस्पताल ना हो करके एक लावारिस मकान सा हो गया है। उसी मकान में तरह-तरह के कार्यालय चलाए जा रहे हैं, जबकि यह अस्पताल जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय के बिल्कुल बगल में स्थित है।
उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य महानिदेशक ने अपने पत्रांक संख्या 11F प्रस्ताव 2024/25/ 334 दिनांक 8 अप्रैल 2024 के सापेक्ष जौनपुर क्षय रोग चिकित्सालय के उच्चीकरण के लिए तीन करोड़ 27 लाख 27 हजार की धनराशि आवंटित किया था।
इस पैसे से कई अत्याधुनिक मशीनों की खरीद की जानी थी जिससे रोगियों की चिकित्सा में सुविधा होती। किंतु ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि यह सारा पैसा कागज पर ही खर्च हो गया रोगियों के हित में की जाने वाली व्यवस्थाएं बिल्कुल नहीं हुई। तीसरी आंख की टीम जब टीवी अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची तो वहां आश्चर्यजनक दृश्य देखने को मिला। इस चिकित्सालय में एक बड़ा सा हाल है जिसमें कई कार्यालय चल रहे हैं। पहला कार्यालय ड्रग इंस्पेक्टर का है जिसके प्रभारी जिलाधिकारी होते हैं यहां कर्मचारियों की एक टीम दिखाई पड़ी। दूसरा कार्यालय दिव्यांग बोर्ड का है यहां भी दिव्यांगों की जांच पड़ताल की व्यवस्था की गई है जहां कोई दिखलाई नहीं पड़ा। तीसरा कार्यालय औषधि निरीक्षक कार्यालय के रूप में स्थित है जहां दवाइयां की जांच पड़ताल होती है, चौथा कार्यालय जिला मलेरिया अधिकारी का है यहां भी एक बाबू दिखलाई पड़ा। पांचवा कार्यालय औषधि का विशाल स्टोर (CMSD) है जहां दवाइयां भरी हुई हैं यहीं से जिले के समस्त सीएचसी, पीएचसी व अतिरिक्त पीएससी आदि में दवाइयां भेजी जाती हैं। कुल मिलाकर यह अस्पताल कम दवाइयों का स्टोर ज्यादा लगता है। यह तो जिले के एकमात्र टीवी अस्पताल की स्थिति है। जिले के देहात क्षेत्र की चिकित्सा व्यवस्था तो राम भरोसे चल रही है। एकाध बानगी देना यहां जरूरी होगा। धर्मापुर ब्लॉक में चार सरकारी अस्पताल हैं यह अस्पताल मुख्यालय से मात्र 10-11 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोरसंड (गौरा बादशाहपुर) में स्थित है। डॉ मनोज कुमार गौतम वहां के अधीक्षक हैं, जो वाराणसी में निवास करते है। जनता उनके दर्शन के लिए तरस जाती है, पता करने पर मालूम हुआ कि सुनील कुमार लालगंज के टीकढ़ गाढ़ मोहल्ले में रेशमा नर्सिंग होम नाम से एक निजी अस्पताल चला रहे हैं। वेतन तो सरकार से लेते हैं लेकिन काम निजी कर रहे हैं इन्हें अनुशासन प्रिय मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आशीर्वाद प्राप्त है। इतना। ही नहीं इस अस्पताल में काम करने वाले कर्मचारियों के आवास में पुलिस चौकी बनी हुई है यहां 112 नंबर की गाड़ी खड़ी रहती है सिपाहियों का आवास बिल्कुल गुलजार है। आश्चर्य है कि इस स्वास्थ्य केंद्र पर कागज पर प्रति रविवार को स्वास्थ्य मेला भी लगता है सरकारी खर्चे से, लेकिन यहां ना तो मेला लगता है न ही कोई मरीज दिखाई देता है, न रोगियों की स्थिति पता लगती है केवल यहां चौकी दिखाई देती है। जबकि सरकार स्वास्थ सेवाएं बेहतर करने के लिए करोड़ों रु खर्च कर रही है, लेकिन बावजूद इसके सरकार की मंशा पर पानी फेरने में जिम्मेदार अधिकारी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।