
जौनपुर : बाबा गणेश दत्त डिग्री कॉलेज के व्यवस्था प्रमुख अवधेश चंद्र त्रिपाठी ने महाकुंभ आयोजन के बारे में अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यह प्रयाग नगरी में आयोजित महाकुंभ का पर्व बहुत अच्छा रहा है यह शुभ पर्व ज्योतिष गणना के अनुसार 144 वर्ष बाद आया है l व्यवस्था में अत्यंत सराहनी कार्य किया गया था लेकिन इसमें राजनीति के घुस जाने के कारण सारी गड़बड़ी हुई l
प्रारंभ में जिस प्रकार संत- महात्माओं, नागा साधुओं, शंकराचार्यो, महामंडलेश्वराे और प्रसिद्ध कथा वाचकों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई थी l विदेश से बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी अक्छी की गयी थी पर्याप्त संख्या में अस्नान करने के लिये घाट भी बनाए गए थे l कल्पवासियों के लिए अलग टेंट और शिविर की व्यवस्था की गई थी l आस्थावान गृहस्थो के लिए भी पृथक पृथक व्यवस्था की गई थी l पर्याप्त शिविरों और अन्य सुविधाओं के बारे में भी ऐसा बताया गया की व्यवस्था सुंदर बनाई गई थी l समय-समय पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस प्रबंधन की निगरानी करने के लिए कई बार प्रयागराज का दौरा किया लेकिन 29 जनवरी 2025 मौनी अमावस्या के दिन रात 1:00 बजे जो भगदड़ मची उसमें सारी व्यवस्था धारी की धरी रह गई l ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं को जिंदगी से हाथ धोना पड़ा जहां स्नान करना था वे सभी गंगा जमुना नोस पर स्नान के लिए एक साथ भागने लगे करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ के एक ही घाट की ओर दौड़ जाने से यह भगदड़ मची तमाम लोग अपनों से छूट गए और भीड़ में दब गए और बड़ी संख्या में लोग घायल हो गए और बहुत लोग मृत्यु को भी प्राप्त हो गए l यह धार्मिक पर्व एक हादसे में बदल गया l इस अप्रत्याशित भीड़ को संभालने में मेला प्रशासन असफल रहा l
त्रिपाठी जी ने बताया कि- यह भगदड़ की घटना कई स्थानों पर होने के नाते श्रद्धालुओं का काफी नुकसान हुआ l एक और चीज देखने में यहां आई कि इस महाकुंभ जैसे धार्मिक स्नान पर्व को अधिकारीयो, राजनेताओ और उनके चमचों ने पिकनिक स्थल समझ लिया और व्ही.आई पी बनकर जहां उनकी इच्छा हुई वहां स्नान करने के लिए जाने लगे l फोटोग्राफी भी करने लगे इस प्रकार मेले में काफी अनुशासनहीनता देखने को मिली इस अनुशासनहीनता ने कुंभ का स्वरूप ही बदल दिया l जहां उत्तर प्रदेश सरकार महीनो से अच्छी व्यवस्था में लगी रही वहीं विपक्ष भी अपनी राजनीतिक रोटी सेकने में लगा रहा है l
अवधेश जी ने कहा कि बड़े आयोजनों में भीड़ बढ़ जाने के कारण भगदड़ मचने के कारण दुर्घटना की यह वारदात नई नही है बहुत बार ऐसा हो चुका है l 1954 में आजादी के बाद पढ़ने वाला पहले कुंभ में पं. जवाहरलाल नेहरू के आने और नागा साधुओं का एक हाथी बिगड़ जाने के कारण जो भीड़ बढ़ी और भगदड़ मची उस समय हुई दुर्घटना में 900 लोग मारे और हजारों घायल हुए थे l इसी प्रकार 2013 में भी दुर्घटना हुई थी उसमें भी काफी लोग मरे थे l
वर्तमान महाकुंभ 2025 में जो दुर्घटना हुई, यदि अधिकारियों को कड़े अनुशासन में रखकर इसकी व्यवस्था की जाती तो यह हादसा टल सकता था l