
आंध्र प्रदेश/ विशाखापत्तनम: आंध्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग में आचार्य आदेश्वर राव का 90 वां जन्मदिन मनाया गया। लोकनायक फाउंडेशन के संस्थापक एवं विश्व हिन्दी परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद जी और आंध्र विश्वविद्यालय आर्ट्स कॉलेज के प्राचार्य नरसिंह जी ने हिन्दी भवन में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि जिन दिनों दक्षिण वालों को हिन्दी विरोधी माना जाता था, उन दिनों गांधी के प्रभाव से देशभक्ति के रूप में वयोजन विद्या के रूप में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया। कांग्रेस में भर्ती होने के लिए 21 कार्यक्रमों में भाग लेना पडता था। उनमें से हिन्दी का प्रचार प्रसार भी एक था। श्री पी.वी.नरसिम्हा राव जी ने कांग्रेस में सदस्य के रूप में भर्ती होने के लिए हिन्दी के प्रचार प्रसार में भाग लिया तथा बाद में श्री पी.वी.नरसिम्हा राव जी भारत के प्रधानमंत्री भी बने |उनसे प्रेरित दक्षिण के सुप्रसिद्ध तेलुगु भाषी हिन्दी कवि आलूरी बैरागी जी ने हिन्दी का प्रचार एवं हिन्दी में सर्वश्रेष्ठ रचाएँ प्रस्तुत की। उनकी रचनाओं मंव पलायन एक उत्कृष्ठ काव्य है, जो वर्तमान स्थिति में भी अत्यंत प्रासंगिक है। मौलिकता एवं दूरदर्शिता को दर्शाती है।
पलायन की दो पंक्तियाँ
“मानवता है यहाँ-कहाँ।
गूँगे-पशुवों की जमात है।
सज़-धज़ कर जा रही।
हाँ ज़िंदा लाशों की बारात है।”
ऐसे महान कवि के मानस पुत्र के रूप में एवं शिष्य के रूप में आचार्य आदेश्वर राव जी को विशेष ख्याति प्राप्त हैं, उन्होंने अपने गुरु के नक़्शे कदमों पर चलकर अपने लेखनी द्वारा हिन्दी को विश्व पटल पर अंकित करने का अधिक प्रयास किया।
इतना ही नहीं, आंध्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग के विकास में आदेश्वर राव की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कहाँ कि जब आंध्र विश्वविद्यालय अपने शताब्दी समारोह की तैयारी कर रही है, ऐसे वक़्त ऐसी सेवा निवृत महान आचार्य को अनुसरण करने की आवश्यकता है, जो अपनी अनवरत सेवाओं के लिए चिरस्मरणीय है। इस समारोह में आचार्य पी.आदेश्वर राव जी के परिवार के सदस्य भी उपस्थित थे। आंध्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभागाध्यक्ष आचार्य एन. सत्यनारायण जी, अध्यापक गण आदि ने भी अपने वक्तव्य में आदेश्वर राव जी की सेवाओं की प्रशंसा की। आचार्य यार्लगड्डा लक्ष्मी प्रसाद, प्राचार्य नरसिंहम, विभागाध्यक्ष आचार्य एन.सत्यनारायण और अन्य आचार्यगण, शोधार्थी एवं विद्यार्थियों आचार्य अदेश्वर राव की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए। इस समारोह में शोधार्थी एवं विद्यार्थी भी शामिल थे।