
जौनपुर एमपी-एमएलए कोर्ट में सभी गवाहों ने इस बात की गवाही दी कि उन लोगों ने इस हत्याकांड में धनंजय सिंह, आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह और सुनीत सिंह को वारदात के समय नहीं देखा था और न ही वह लोग उन्हें जानते तक हैं, जबकि धनंजय सिंह तत्कालीन बीएसपी सांसद थे.
अपने समर्थकों के साथ पूर्व सांसद धनंजय सिंह.
उत्तर प्रदेश के जौनपुर में 15 वर्ष पूर्व हुए बेलाव घाट पर दोहरे हत्याकांड के मामले में गुरुवार को जौनपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत चारों आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया. इस केस में सीबीसीआईडी ने भी जांच की थी. हालांकि, कोर्ट के फैसले का धनंजय ने स्वागत करते हुए इसे सत्य की जीत बताया, लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि इस केस से जुड़े 20 गवाह अपने बयान से कोर्ट में मुकर गए.
दरअसल, केराकत कोतवाली क्षेत्र के बेलाव घाट पर एक अप्रैल 2010 को सुबह 5 बजकर 15 मिनट पर दो लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसमें पुल पर टोल वसूली करने वाले संजय निषाद और बगल के स्थित चाय की दुकान चलाने वाले नंदलाल निषाद की मौत हो गई थी. संजय के पिता अभयराज पीडब्ल्यूडी में ठेकेदार थे. संजय पुल पर टोल वसूली का काम करता था, जबकि इसका ठेका संजय के पिता अभयराज निषाद के नाम से काफी पहले से था.
हालांकि इसमें हत्या का आरोप तीन नकाबपोश बाइक सवार अज्ञात बदमाशों पर लगा था. घटना के बाद घायल अवस्था में संजय निषाद और नंदलाल चायवाले को बोलोरो से परिजन वाराणसी हॉस्पिटल ले गए थे. संजय की रास्ते में ही मौत हो गई थी, जबकि नंदलाल की इलाज के दौरान मौत हुई थी. घटना से एक दिन पूर्व पुल पर टोल वसूली को लेकर किसी व्यक्ति से विवाद की बात सामने आई थी.
मृतक के भाई ने दर्ज कराया था केस
पुलिस ने मृतक संजय निषाद के भाई राजेंद्र प्रसाद की तहरीर पर तीन अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया था. विवेचना के दौरान इसमें ठेकेदारी की रंजिश की बात सामने आने पर गवाहों के बयान के आधार पर सुनीत सिंह, पुनीत सिंह का नाम प्रकाश में लाया गया था.
सीबीसीआईडी ने की थी जांच
इस दोहरे हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए इसकी सीबीसीआईडी से जांच कराई गई थी. सीबीसीआईडी ने पुलिस द्वारा इस केस में जोड़े गए 20 गवाहों की गवाही के आधार पर तत्कालीन बीएसपी सांसद धनंजय सिंह, उनके करीबी आशुतोष सिंह के अलावा सुनीत सिंह और पुनीत सिंह को आरोपी बनाते हुए चार्जशीट कोर्ट में दखिल की थी, लेकिन उसके बाद जो हुआ वो बेहद चौंकाने वाला था. धनंजय और आशुतोष पर हत्या के साजिश के आरोप लगे थे, लेकिन सभी गवाह कोर्ट में मुकरते गए.
वादी समेत 20 गवाह मुकरते गए
तत्कालीन बीएसपी सांसद धनंजय सिंह का नाम विवेचना के दौरान इस हत्याकांड में आने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. हालांकि इस दोहरे हत्याकांड में जब सभी गवाहों को न्यायालय के सामने पेश कराया गया तो केस दर्ज कराने वाले वादी राजेंद्र प्रसाद, मृतक संजय निषाद के भाई योगेन्द्र, पिता अभयराज और संजय की पत्नी पुष्पादेवी समेत सभी 20 गवाह कोर्ट में मुकर गए, जिससे कोर्ट ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह समेत चारों आरोपियों की संलिप्तता का होना नहीं पाया.
बता दें कि सभी गवाहों ने कोर्ट में इस बात की गवाही दी कि उन लोगों ने इस हत्याकांड में धनंजय सिंह, आशुतोष सिंह, पुनीत सिंह और सुनीत सिंह को वारदात के समय नहीं देखा था और न ही वह लोग उन्हें जानते तक हैं, जबकि धनंजय सिंह तत्कालीन बीएसपी सांसद थे.
15 साल बाद बरी हुए धनंजय
बेलाव के बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड के मामले में 15 साल बाद कोर्ट ने साक्ष्यों के अभाव में गुरुवार को पूर्व सांसद धनंजय सिंह, उनके करीबी आशुतोष सिंह, पुनीत और सुनीत सिंह को बाइज्जत इस केस से बरी कर दिया. कोर्ट के फैसले के बाद न्यायालय के बाहर मौजूद धनंजय के समर्थकों में काफी उत्साह देखने को मिला. धनंजय सिंह ने इसे सत्य की जीत बताते हुए न्यायालय के फैसले को सही ठहराया. उन्होंने कहा कि उन्हें राजनीतिक द्वेष बस इस केस में फंसाया गया था.
संजय निषाद और नंदलाल चायवाले का हत्यारा फिर कौन?
बेलाव घाट पर हुए दोहरे हत्याकांड के 15 वर्ष बीतने के बाद कोर्ट ने जो फैसला सुनाया, उसमें सभी चारों आरोपी दोषमुक्त पाए जाने पर बाइज्जत बरी कर दिए गए, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर जिस मामले में यूपी पुलिस से लेकर सीबीसीआईडी तक ने जांच की, उस दोहरे हत्याकांड का दोषी आखिर कौन है ? उसे सजा कब मिलेगी, मृतक संजय निषाद और मृतक नंदलाल चायवाले के पीड़ित परिवारों को न्याय कब और कैसे मिलेगा? ये तमाम सवाल हैं, जो जौनपुर की प्रत्येक गली चौक-चौराहों पर लोगों की जुबान पर गूंज रहे हैं.