
जौनपुर: समाज सेवा में प्रख्यात लालजी यादव जिन्हें स्थानीय लोग मंत्री जी कहते हैं,सरकार की वर्तमान गतिविधियों से बिल्कुल असहमत और असंतुष्ट होने के साथ ही मंत्री जी दुखी भी हैं। पहले हम मंत्री जी की उपाधि के बारे में आपको बता दें, ये स्थानीय खादी ग्रामोद्योग संस्था के मंत्री रहे हैं, फिर दुर्गा पूजा महासमिति में कई बार मंत्री रहे हैं,साथ ही निर्णायक मंडल में भी सदस्य एवं मंत्री रहे हैं। इसके साथ जिले की सद्भावना समिति जो वर्ग एवं संप्रदाय के सद्भावना के लिए क्रियाशील रहती है, उसमें भी मंत्री उपाध्यक्ष और अध्यक्ष पद पर रहे हैं।
इस समय आप यादव महासभा के देश की और प्रदेश की कार्यकारिणी में तो है ही, जिले के अध्यक्ष पद पर सुशोभित हैं। बिरादरी में ही नहीं सभी वर्गों में और जातियों में बराबर प्रतिष्ठा पाने वाले ये अकेले व्यक्ति हैं। जिन्हें ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, किसान,अध्यापक, छात्र, अध्यात्म से जुड़े लोग, जैसे- शांतिकुंज संगठन के लोग, पत्रकार बंधु सभी बड़े प्यार से इन्हें मंत्री ही कहते हैं। सरकार कोई भी रहे इनका मंत्री पद पर यथावत बना रहना सुनिश्चित है। बहुत से धन पशुओं को यह ईर्ष्या होती है कि इस आदमी की सभी वर्ग में इतनी अधिक प्रतिष्ठा क्यों है?अब हम मूल बिंदु पर आते हैं वह है वर्तमान देश की नीति के बारे में मंत्री जी की पीड़ा।जब से देश में कोरोना का कुदरती प्रकोप पूरे देश पर चला है वर्तमान सरकार ने गरीबों के लिए, गरीबी रेखा से नीचे के लोगों को (जो रेखा आज तक निश्चित नहीं की गई) निशुल्क गेहूं,चावल और अन्य अनाज दिया जाना शुरू कर दिया। यह तो देश के लिए प्राकृतिक आपदा थी अच्छी बात थी। लोगों ने सराहा लेकिन अब यह एक परंपरा बन गई है सभी नागरिकों को निशुल्क खाद्यान्न दिया जाने लगा है परिणाम यह हुआ कि लोगों ने काम करना ही बंद कर दिया और गांव की गांव खेती की जमीन मजदूरों की भरोसे जो बोई जाती थी वह भी बंद हो गई।
कोई भी गांव ऐसा नहीं है जहां 100- 50 बीघा उपजाऊ जमीन खाली न पड़ी हो। दूसरी समस्या है मनरेगा। यह महात्मा गांधी के नाम पर ग्रामीणों को गांव में ही रोजगार दिए जाने की योजना है।गाँव में कहां और किस प्रकार का काम है। यह गांव के हर लोग जानते हैं। गांव के 18 वर्ष से ऊपर जितने सक्रिय नौजवान हैं उन्हीं में से चुनकर कुछ लोगों को, जो प्रधान से अपने पूरे पैसे के लिए लड़ नहीं सकते, जॉब कार्ड बनवा दिया जाता है। मिट्टी फेंकने, सफाई करने, वृक्षारोपण करने, जमीनों का समतलीकरण करने, आदि के नाम पर कार्य दिखलाकर कार्ड धारकों के नाम से पैसा निकाल दिया जाता है कुछ अर्थात 10 से 20 प्रतिशत मजदूरों को देकर बाकी प्रधान जी के व्यक्तिगत खाते में चला जाता है।
प्रतिवर्ष हर गांव में करोड़ों का वारा न्यारा होता है। उसे विकास विभाग से जुड़े तमाम अधिकारी जानते ही नहीं बल्कि लाभान्वित भी होते हैं। यही लालजी यादव अर्थात मंत्री जी की पीड़ा है इससे वह बहुत ही दुखी है।