श्याम नारायण पांडेय (वरिष्ठ पत्रकार)
जौनपुर: भारतीय संविधान दिवस पर विशेष। हमारा देश वर्षों की गुलामी से 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ तो उस समय देश को चलाने के लिए एक अच्छे संविधान की आवश्यकता महसूस हुई इसलिए दुनिया के प्रमुख देशों के संविधानों और वहां के कानून के बारे में विधिवत अध्ययन किया गया।इसके लिए 1946 में एक संविधान सभा का गठन भी किया गया। सदस्यों की संख्या 389 नियत की गई।
इसमें प्रांतों के प्रतिनिधि थे, कमिश्नर क्षेत्र के प्रतिनिधि और रियासतों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। 11 दिसंबर सन 1946 को डॉ० राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष बनाए गए और इसके बाद डॉ० भीमराव अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियत किया गया। देश का विभाजन होने के बाद सदस्यों की संख्या में कमी आई और अब वे सदस्य 324 हो गए। 26 नवंबर 1949 को जब संविधान सभा द्वारा अंतिम वाचन के उपरांत संविधान पारित किया गया तो सदस्यों की संख्या 294 ही थी। भारतीय जनता पार्टी की नरेंद्र मोदी सरकार ने 26 नवंबर 2015 को संविधान निर्माण होने की 125 वीं जयंती पर यह निर्णय लिया कि 26 नवंबर को देश संविधान दिवस मनाएगा और तभी से 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित कर दिया गया।
देश इसी तिथि से विभिन्न कार्यक्रमों के द्वारा संविधान पर चर्चा, सेमिनार और संविधान की प्रतियों का वितरण तथा इस दिवस पर अनेक समारोह आयोजित करके संविधान दिवस मनाता आ रहा है।
हमारा संविधान बड़ा ही लचीला है। अब तक देखने में आया है कि इसे शक्तिशाली लोग नहीं मानते कानून को तोड़ते रहते हैं आवश्यकता इस बात की है की संविधान में अब बुनियादी परिवर्तन भी किया जाए ताकि वे लोग इसे मानने के लिए विवश हो जाएं।