
भारत के विदेश मंत्री यश जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान ने हमें कड़ा जवाब देने के लिए मजबूर कर दिया। विदेश मन्त्री नई दिल्ली में ईरान और सऊदी अरब के विदेश मंत्रियों से आतंकवाद के बारे में वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की आतंकी घटनाओं को अंजाम देकर यह बता दिया कि हम आतंकवादियों के संरक्षक हैं और रहेंगे। यदि पाक ने उन आतंकवादी संगठनों – जैस ए मोहम्मद और लश्कर – ए – तैयबा के लोगों को जिन्होंने 22 अप्रैल की घटना को अंजाम दिया था हमें सौंप दिया होता तो “ऑपरेशन सिंदूर” की कोई आवश्यकता नहीं थी। जब 12-13 दिन के बाद भी पाकिस्तान ने हमारी बात नहीं मानी तो हमने समझ लिया कि अब शांति से बात नहीं बनेगी युद्ध अनिवार्य हो गया है। इस हरकत से यह समझ में आ गया कि पाकिस्तान की सेना और आतंकी संगठन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं तब हमने पाकिस्तान में घुसकर इनके नौ आतंकी अड्डो को तबाह कर दिया। अभी हमारी कोई आगे कि योजना नहीं थी किंतु जब पाकिस्तान ने एल. ओ. सी. का उल्लंघन किया और हमारे नागरिकों आवादी और सैनिकों आड्डो पर आक्रमण करने की असफल कोशिश किया तब हमें लाहौर और रावलपिंडी स्टेडियम को तबाह करने की बहुत जरूरत महसूस हुई और वैसा मैंने किया।
हमारी भारतीय सेना बहुत ही अनुशासित ढंग से केवल आतंकी ठिकानों को ही ध्वस्त किया लेकिन जब पाकिस्तान कि सेना ने स्वयं आगे आकर यह साबित कर दिया कि आतंकवादियों को हमारा संपूर्ण संरक्षण है तब सेना ने आक्रमण की कार्रवाई शुरू कर दी।
एस जयशंकर ने कहा कि देश ने असीम धैर्य का परिचय देते हुए काफी वक्त तक पाकिस्तान की प्रतीक्षा किया जब हमें लगा कि पाकिस्तान शांति नहीं युद्ध चाहता ही है, तो हम मजबूर हो गए। रिश्ता तो विश्वास और भरोसे से बनता है और ताली एक हाथ से नहीं बजती।
यश जयशंकर ने मुस्लिम देशों के दोनों विदेश मंत्रियों से कहा कि भारत तो शांति का पुजारी है लेकिन एक सीमा तक ही हम बर्दाश्त करेंगे अब तो युद्ध अनिवार्य हो गया है।