
एक अहंकारी राजा सिद्ध संत गरीबदास के पास पहुंचा उनका सादे भाव का आश्रम देखकर उसने संत से कहा कि महाराज यदि आपको किसी वस्तु या सुविधा की आवश्यकता हो तो बताएं मैं तुरंत व्यवस्था कर दूंगा। संत गरीबदास ने कहा – बेटा हमारे पास भगवान का दिया जो कुछ है पर्याप्त है और मैं उससे संतुष्ट हूं राजा ने कहा आप संकोच न करें मैं राजा हूं जो आप मांगेंगे सब मिलेगा.
संत ने उसके अभियान को देखते हुए कहा बेटा तुम्हारा है क्या जो तुम मुझे दोगे यह शरीर तुम्हारे माता-पिता का दिया हुआ है धन-धान्य धरती मां का दिया हुआ है यह राज पाठ भी प्रजा ने कृपा करके आपको दिया है और प्रजा के साथ ही तुम राजा बने हो। इस संसार में धर्म ही सच्ची संपत्ति है धर्म का पालन करते हुए यदि तुम प्रजा की सेवा करोगे तो निश्चित रूप से सौभाग्य के अधिकारी बनोगे । संत का धर्म वाक्य सुनते ही राजा दर्प विगलित हो गया और वह उनके पैरों पर गिरकर कहा कि महाराज वस्तुतः आपने मेरी आंख खोल दी |