नहाय-खाय के साथ चार दिनी छठ महापर्व शुरू

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जौनपुर: चार दिन के छठ महापर्व का नहाय-खाय के साथ मंगलवार से ष्षुभारंभ हो गया है.। व्रती महिलाएं तालाब और नदी में स्नान करके कद्दू की सब्जी और चावल खाकर व्रत का संकल्प लिया। माना जाता है कि यह भोजन करने से साधक के जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इस दिन व्रती महिलाएं स्नान करेक नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. नए कपड़े की आवश्यकता व्रतियों को होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों का छठ में विशेष महत्व होता है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं। नहाय खाय क्या हैरू व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रत से पहले नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करने को ही नहाय-खाय कहते हैं. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने का दाल ग्रहण करते हैं.। पवित्रता और शुद्धता का ध्यानरू इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया और पकाया जाता है. खाना पकाने के दौरान भी साफ सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया के गीतों को पूरी आस्था और निष्ठा से गाती हैं. नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं. । 36 घंटे का निर्जला व्रत रू 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठव्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोता है. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर पकाया जाता है.।इस दिन चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही प्रयोग किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठव्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं। इन नियमों का पालन जरूरीरू नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नये कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ की समाप्ति होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार पूरी तरह से वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा करना जरूरी होता है।ज्ञात हो कि छठ पूजा का महत्वः छठ श्रद्धा और आस्था से जुड़ा है, जो इस व्रत को पूरी निष्ठा और श्रद्धा से करता हैं उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. छठ व्रत, सुहाग, संतान, सुख-सौभाग्य और सुखमय जीवन की कामना के लिए किया जाता है. इस पर्व में सूर्य देव की उपासना का खास महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा के दौरान पूजी जाने वाली छठी मईया सूर्य देव की बहन हैं. इस व्रत में सूर्य की आराधना करने से छठ माता प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं. इस व्रत में जितनी श्रद्धा से नियमों और शुद्धता का पालन किया जाएगा, छठी मैया उतना ही प्रसन्न होंगी. छठ पर विशेष रूप से बनने वाले ठेकुए को प्रसाद के रूप में जरूर चढ़ाया जाता हैं। पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामइग्रीः छठ पूजा में नई साड़ी, बांस की बनी हुए बड़ी-बड़ी टोकरियां, दूध, पीतल या बास का सूप, जल, लोटा, शाली, गन्ना, पान, मौसमी फल, सुथना, सुपारी, मिठाई, दिया आदि सामानों की जरुरत होती है. दरअसल सूर्य देव को छठ के दिन इस मौसम में मिलने वाली सभी फल और सब्जी अर्पण किए जाते हैं।

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