अटाला मस्जिद का विवाद:-
उत्तर भारत में जौनपुर जनपद की अटाला मस्जिद शर्की कालीन इमारतो में अति महत्वपूर्ण है।
आजकल इस मस्जिद को लेकर जौनपुर दीवानी न्यायालय में एक संस्था द्वारा अटाला के हिंदू मंदिर होने के संबंध में एक याचिका दायर की गई है जिसमें कहा गया है कि –
अदालत मस्जिद ” अटाला या अचला देवी का मंदिर था” इसे मुस्लिम आक्रांताओं ने तोड़कर मस्जिद बना दिया। मस्जिद में मंदिर के चिन्ह आज भी विद्यमान हैं। इसे सर्वेक्षण करके देखा जा सकता है।
इस याचिका पर विचार करने के लिए आगामी 16 दिसंबर की तारीख नियत की गई है।
अटाला मस्जिद के संबंध में तथ्य:-
इस मस्जिद की नींव फिरोज शाह तुगलक ने 1363 ईस्वी में डाली थी।
सैयद इकबाल अहमद जौनपुरी ने अपनी पुस्तक शर्की राज्य जौनपुर का इतिहास, में लिखा है कि – अटाला मस्जिद हिंदुओं के देवी का एक मंदिर था जिसे तुगलक राजा ने मस्जिद का रूप देना शुरू किया किंतु विद्रोह के कारण मस्जिद का निर्माण नहीं हो सका क्योंकि यह मस्जिद अचला देवी के मंदिर को तोड़कर बनाई जा रही थी।
जौनपुर नामा के अनुसार :-
मौलवी खैरूद्दीन के अनुसार प्राचीन काल में यह मूर्ति गृह था। इसमें प्रत्येक प्रस्तर पर मूर्ति बनी थी जिसके परिणाम स्वरुप इसको देवल अटला कहते हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि इसको जाफराबाद के शासक जयचंद्र ने संवत 1416 अर्थात सन 1159 में बनवाया था। इन्होंने अचला देवी की मूर्ति इसी में स्थापित करवा दिया था। अस्तु इसी कारण इस देवल का नाम अटाला पड़ा इसका समर्थन मौलवी नजीरूद्दीन की पुस्तक तारीख – ए- जौनपुर से भी होता है।
भूगोल जौनपुर:-
इस पुस्तक के भाग 1 में लेखक ने कहा है कि इस देवल को जफराबाद के गहरवाल शासक जयचंद्र ने 1416 विक्रम अर्थात 1159 ईस्वी में बनवाया था। इसमें अचला देवी की मूर्ति स्थापित की थी इस कारण इसे देवल अटला भी कहा जाता था।
तजल्लिए – नूर के अनुसार:-
मौलवी नूरुद्दीन जैदी ने अपने पुस्तक तजल्लिए – नूर में लिखा है कि जौनपुर में सन 1159 ईस्वी में कन्नौज के राजा जयचंद्र ने एक विशाल देवी मंदिर बनवाया था, जिसे सन 1360 ईस्वी में फिरोज शाह तुगलक ने अपना किला बनवाते समय तुड़वाया दिया क्योंकि तुगलक बादशाह हिंदू और शिया मुसलमानो के विरोधी थे किंतु हिंदुओं के प्रबल विरोध के चलते मंदिर को तोड़ने का काम रुक गया। इसके काफी समय बाद इब्राहिम शाह शर्की ने 1403 ईस्वी में मंदिर को तुड़वाकर बाद में यही विशाल मस्जिद बनवाया। मंदिर के अवशेषों के साथ ही इस मस्जिद में आसपास के तमाम मंदिरों के पत्थर और अन्य सामग्री भी लगवाई गई है।
जौनपुर गजेटियर के अनुसार :-
इस गजेटियर के अनुसार किले के उत्तर पूर्व में अटाला मस्जिद स्थित है। यह अचला देवी मंदिर के नाम से प्रख्यात रही है। इसका निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद्र ने 1159 ईस्वी में करवाया था।
कीर्तिलता के अनुसार :-
पंडित विद्यापति के मैथिली भाषा में लिखे गए काव्य ग्रंथ के अनुसार – अटल देवी के मंदिर के नाम से विख्यात देवी का नाम अचल देवी था और यही मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनी जो अब अटाला मस्जिद के नाम से जानी जाती है
अर्थात-
साक्ष्यों के अनुसार अटल देवी मंदिर का निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद ने 1159 ईस्वी में जौनपुर में करवाया था। फिरोज शाह तुगलक ने 1350 ईस्वी में अपना किला बनवाते समय इस मंदिर को नष्ट करना चाहा किंतु हिंदुओं के प्रबल विरोध के कारण ऐसा करने में वह सफल नहीं हो सका। कालांतर में इब्राहिम शाह शर्की ने मंदिर के स्वरूप को परिवर्तित कर सन 1404 ई० में अटाला मस्जिद का निर्माण कराया जो पूर्ण रूप से 1408 ईस्वी में बनकर तैयार हुई।
स्थापित कला की दृष्टि से मस्जिद अति महत्वपूर्ण है यही अटाला मस्जिद आज विवादों में गिरी हुई है जिसका वाद जौनपुर दीवानी न्यायालय में विचाराधीन है।