भ्रष्टाचार चरम पर, दूसरे की जमीन पर दूसरा कोई कर रहा है बैनामा

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जौनपुर: “उप-निबंधक जौनपुर सदर कार्यालय में भ्रष्टाचार चरम पर, दूसरे की जमीन दूसरा कोई कर रहा है बैनामा” जिसमें पिड़ित राजेश कुमार गुप्ता पुत्र स्व० कामता प्रसाद निवासी शेखपुर रोडवेज तिराहा की सम्पत्ति को इनके प्रतिवादी मुकदमा चन्द्रप्रकाश द्वारा मुकदमें के दौरान ही दिनाँक- 25-11-2023 को उप-निबंधक जौनपुर सदर की मिली भगत से फर्जी ढंग पहले दो आपराधिक किस्म के व्यक्तियों को मुवाहिदा कर दिया गया जबकि चन्द्रप्रकाश का नाम न तो खतौनी में था और न ही नगर पालिका असिस्मेंट में,फिर भी उप-निबंधक सदर द्वारा इस कार्य को अंजाम दे दिया गया तत्पश्चात दिनाँक-14-08-2024 को इसी सम्पत्ति को एक तथाकथित अश्वनी अमर सिंह नामक व्यक्ति को विक्रय कर दिया गया जबकि विक्रय से पूर्व ही इस संबंध में एक मुकदमा हाईकोर्ट में व एक मुकदमा सिविल कोर्ट जौनपुर में 845/2007 विचाराधीन है। पिड़ित द्वारा तहसीलदार(न्यायिक) महोदय सौरभ कुमार के यहाँ भी एक तजबीजसानी वरिष्ठ एवं पूर्व शासकीय अधिवक्ता श्री पल्टू राम, प्रमोद कुमार व सुनील कुमार उपाध्याय के माध्यम से प्रतिवादी मुकदमा चन्द्रप्रकाश द्वारा तहसीलदार(न्यायिक) सौरभ कुमार से तथ्यों को छिपाकर धोखे से कराये गये एक आदेश के खिलाफ दाखिल किया गया, जिसमें सुनवाई शुरू हुई ही थी कि प्रतिवादी द्वारा पिड़ित की सम्पत्ति को विक्रय कर दिया गया। जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता पल्टू राम द्वारा बताया कि सम्पत्ति अन्तरण अधिनियम-1882 की धारा 52 के अन्तर्गत मुकदमा विचाराधीन रहते किसी सम्पति का विक्रय या अन्तरण स्वत: ही शून्य माना जायेगा। इसके बाबत पिड़ित राजेश गुप्ता द्वारा एक प्रार्थना पत्र जिलाधिकारी जौनपुर महोदय को उप-निबंधक सदर की शिकायत करते हुए दिया गया कि इनके द्वारा बिना वैध पेपर की जांच किये हुए ही मेरा जमीन/मकान का बैनामा कर दिया गया। जिलाधिकारी महोदय जौनपुर द्वारा उप-निबंधक महोदय के खिलाफ दिये गये शिकायती प्रार्थना पत्र की जांच उप-निबंधक महोदय को ही भेज दिया गया, जिसमें उनके द्वारा कहा गया की रजिस्ट्रेशन एक्ट व रजिस्ट्रेशन मैनुअल के हिसाब से वे किसी भी प्रकार की सम्पत्ति चाहे वह विवादित ही क्यों ना हो या कोर्ट में विचाराधीन ही क्यों ना हो वो उसका बैनामा करने के लिए बाध्य हैं और उन पर शासन का दबाव रहता। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता पल्टू राम सहित पिड़ित के अधिवक्तागण का कहना है कि यदि इसी तरह से यह कृत्य जारी रहा और शासन द्वारा समय रहते एक्ट में संशोधन नहीं किया गया और अधिकारियों द्वारा अगर सही समय पर संज्ञान नहीं लिया गया तो स्थिति बहुत भयावह हो सकती है।इस प्रकार से तो किसी की भी सम्पत्ति कोई भी बेच देगा इस तरह से तो विवाद व मुकदमों को बढ़ावा ही मिल रहा है बस निपटारा कब होगा यह निश्चित नहीं होता।

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