
श्याम नारायण पाण्डेय
जौनपुर में हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में मृतक गुड्डु की पत्नी सरिता की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर गिरफ्तारी तो कर लिया लेकिन कोई पूरे घटना का गवाह आज तक सामने नहीं आया। पुलिस को मृतक लालजी एवं तीनों पुत्रों के अतीत को भी खंगालना पड़ेगा क्योंकि मृतकों के साथ एक जीवित पुत्र, जो कारागार में दुराचार के मामले में सात वर्षों की सजा काट रहा है,का चरित्र भी काफी दागदार रहा है। इनके कई दुश्मन रहे हैं। मृतक लालजी ने,जो किरायेदार के रूप नागर के मकान में रह कर खराद मशीन लगा कर रहते थे, कई वर्षों पूर्व फर्जी मुकदमा कायम करा कर पलटू राम नागर एवं उनकी पत्नी को महीनों जेल में बंद करवाया था जबकि लालजी का लड़का पल्टूराम नागर की पुत्री को भगा ले गया था। तत्कालीन थानाध्यक्ष ने भी जम कर लालजी का साथ दिया था। कोई भी पुत्री का पिता ऐसे लोगों को किसी भी दशा में अपने मकान में नहीं रहने देता।

परिवार ने भी यही किया। प्रतिशोध की आग में जल रहे लालजी ने नागर परिवार को नेस्तनाबूद करने का संकल्प ले लिया एवं आये दिन जफराबाद थाने में अनर्गल आरोपों के साथ आवेदनपत्रों की झड़ी लगा रखी थी। पल्टूराम नागर बसपा के जिलाध्यक्ष रह चुके थे एवं उनकी राजनैतिक छवि भी बेदाग थी। लालजी एवं उनके पुत्र ने मिलकर नागर परिवार को प्रताड़ित करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा।

नागर परिवार ने भी डट कर सामना किया और अपने घर में पुनः न तो कारखाना चलने दिया और न तो रहने दिया। हद तो तब हो गई कि लालजी सद्भावना पुल पर अपनी मोटरसायकिल से गिर पड़े और मेडिकल मुआयना करा कर पल्टूराम नागर पर मारपीट का आरोप लगा कर प्रार्थनापत्र थाने पर दे दिया। वस्तुस्थिति का पता चलने पर पल्टूराम की जान बची।
‘तीसरी आँख’ ने इस हत्याकांड के विषय पर जब लोगों की राय जाननी चाही तो अधिकतर लोगों ने कहा कि पल्टूराम एवं उनके परिजन मिलनसार व्यक्ति थे। उनसे कोई भी व्यक्ति असंतुष्ट नहीं हो सकता था। बसपा के शासन काल में भी मोटरसायकिल से ही घूमते थे तथा उनकी छवि बेदाग थी। किसी और ने इस हत्याकांड को रूप दिया और शक की सुई नागर परिवार की तरफ घूम गई। पुलिस प्रशासन अगर इस हत्याकांड की गहराई से जांच करे तो संभावना है कि चौंकाने वाले तथ्य सामने आयेंगे।