
दिल्ली: अरविंद केजरीवाल दिल्ली प्रदेश का चुनाव हारने के बाद वैसे ही छटपटा रहे हैं जैसे जल से निकलने के बाद मछली का हाल होता है बौद्ध दर्शन की एक आध्यात्मिक क्रिया है विपश्यना। इस क्रिया का 10 दिवसीय अनुष्ठान होता है। इसके द्वारा मन को संतुष्टि मिलती है यद्यपि इसके देश में दर्जनों केंद्र हैं एक छोटा सा केंद्र पंजाब प्रदेश में भी है होशियारपुर जिले में।
विपश्यना एक प्रकार का तप है जिसमें शरीर और मन को साधा और तपाया जाता है। यहां होशियारपुर में केजरीवाल 100 बड़ी गाड़ियों के साथ पधारे हैं उनकी सुरक्षा की भी व्ही व्ही आई पी व्यवस्था के अंतर्गत यहां चल रही है। इनकी धूर्तता इस अनुष्ठान में भी परिलक्षित हो रही है क्योंकि अनुष्ठान की प्रक्रिया के विपरीत वे मौन होकर तप नहीं कर रहे हैं बल्कि पंजाब प्रांत के विधानसभा के सदस्यों को बुला बुला करके उनसे पंजाब की सत्ता पर काबिज होने के लिए जुगाड़ लगा रहे हैं।
केजरीवाल ने इसके पूर्व पंजाब के किसानों को जिस प्रकार दिल्ली बॉर्डर पर केंद्र सरकार को अशांत करने के लिए आंदोलन करने में मदद किया था,वही ढंग पंजाब की सरकार को अस्थिर करने के लिए लगा रहे हैं किंतु मुख्यमंत्री भगवत सिंह मान के काफी कड़ाई कर आंदोलनकारियो को ठंडा कर दिया है।आंदोलन में दम इसलिए नहीं दिख रहा है क्योंकि सत्ता विरोधी केजरीवाल के गुर्गों की विदेश से आने वाली आय बंद हो गई है। इसके अलावा भगवान सिंह मान के अब परोक्ष रूप से केंद्र सरकार की मदद ले रहे हैं और अच्छा संबंध बना लिए हैं। इस प्रकार यह नकली तपस्या भी अब केजरीवाल को पंजाब की सत्ता पर बिठाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। ऐसे देश के नेताओं को तो जनता को तुरंत समझ लेना चाहिए। केजरीवाल तो दिल्ली की जनता को दशकों तक मूर्ख बनाकर के उनके सीने पर चढ़ा रहा। अब दिल्ली में दाल नहीं गलने वाली है। तब वह पंजाब में ही मुख्यमंत्री बनना चाहता है। पंजाब में भी इन्हें कोई उम्मीद नहीं लग रही है क्योंकि पंजाब प्रांत में 1954 से लेकर के अब तक कोई गैर सिख मुख्यमंत्री ना तो हुआ न तो भविष्य में हो सकता है किंतु केजरीवाल अभी भी कोशिश में लगे हैं और अपने को पराजित नहीं मान रहे हैं।
