जौनपुर: 4 दिसंबर को दिल्ली और उत्तर प्रदेश सीमा पर एक घटना घटी। नेता प्रतिपक्ष (लोकसभा) राहुल गांधी और केरल में वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी धारा 144 तोड़कर संभलपुर में प्रवेश करने के लिए गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंचे। उन्हें यह मालूम था की उत्तर प्रदेश प्रशासन ने धारा 144 लगा रखी है। मामला संवेदनशील है इसलिए प्रशासन ने आवागमन को रोक रखा है। गत दिनों समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और अध्यक्ष अखिलेश यादव भी संबलपुर नहीं जा पाए थे। प्रशासन ने उन्हें भी रोक दिया था। यह 25 एवं 26 नवंबर को घटी एक सांप्रदायिक घटना के नाते हैं जिसमें एक मस्जिद को सर्वेक्षण के लिए अदालत से आदेश हुआ था और सर्वेक्षण करते समय लोगों ने सर्वेक्षण की टीम और हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन तथा सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिस जनों पर जबरदस्त पत्थर बाजी की, गोलियां चलाई और भयंकर उपद्रव किया।
उसी के चलते वहां पर धारा 144 लगा करके आवागमन को रोक दिया गया और पुलिस प्राथमिकी दर्ज करके आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई कर रही है। पिछले दिनों लोकसभा मेंअखिलेश यादव ने और राज्यसभा में रामगोपाल यादव ने अपनी पार्टी की तरफ से संभल की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के विरुद्ध काफी कुछ बोला और यह कहा कि मुसलमानो का इस घटना में कोई दोष नहीं है। सारा दोष पुलिस और प्रशासन का है। पुलिस ने गोलियां चलाई हैं जिसमें पांच लोगों की मौत हुई है लेकिन सत्ता पक्ष में बताया कि फोरेंसिक टीम की रिपोर्ट के अनुसार जो जांच हुई है जो उसने यह पाया है कि जो गोलियां मृतकों के शरीर से मिली हैं वह गोलियां सरकारी बंदूक से चली हुई नहीं है उन गोलियों पर पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का नाम लिखा हुआ है इससे विपक्ष के मुंह पर ताले लग गए। कहीं सपा मुस्लिम चुस्तीकरण में सपा हमसे आगे ना निकल जाए इसलिए राहुल गांधी ने 10 दिन बाद संबलपुर जाने का निश्चय किया। उनका उद्देश्य केवल समाचार माध्यमों में सुर्खियां बटोरने का था वह ऐन केन प्रकारेण पूरा हो गया।