
नई दिल्ली: बीते 17 मार्च को नई दिल्ली के प्रदर्शन स्थल जंतर – मंतर पर वक्फ कानून लागू होने के लिए मंत्रणा की गई और यह तय हुआ कि हम देश में यदि संशोधित वक्फ कानून लागू हुआ तो देश को शाहीन बाग बना देंगे। इस प्रदर्शन में भाग लेने लिए यद्यपि देश के सभी विपक्षी दलों ने अपनी – अपनी सेना को भेजा लेकिन मुख्य लोग खुद नहीं आए जैसे – राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, राष्ट्रीय जनता दल के लालू प्रसाद यादव एवम् तेजस्वी यादव, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव, डिंपल यादव, शिव पाल यादव, माता प्रसाद यादव, रामगोपाल यादव, डीएमके के एम के स्टालिन, तृण मूल कांग्रेस के ममता बनर्जी या अभिषेक बनर्जी आदि नहीं आये।इस प्रदर्शन का आशय था कि संयुक्त संसदीय समिति ने वह कानून में संशोधन लाने के लिए और उसे नया रूप देने के लिए जो मसविदा सरकार को सौंपा है।

वह लागू न हो। इसे दालों का बहिष्कार तो नहीं काजल कहा जा सकता क्योंकि इनके कार्यकर्ता अच्छी संख्या में आए थे उन सबों ने देश विरोधी और अराष्ट्रीय नारे भी लगाए। अंत में भड़काऊ भाई जान ने एनडीए के घटक दलों के नेताओं जैसे नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, चिराग पासवान, अनुप्रिया पटेल, आदि से निवेदन किया कि वह संशोधन कानून को न पास होने दें। इसका आशय है कि सदन में विरोध पक्ष मिलकर भी वक्फ संशोधन कानून बनने से रोक नहीं पाएगा। क्या होगा वह तो अभी भविष्य के गर्त में है किंतु वह संपत्ति को हड़पने वाले भू माफिया अभी से अपनी ताकत दिखा रहे हैं कि हम इस कानून को नहीं मानेंगे। यह समय बताया कि भविष्य में क्या होगा। गौरतलब है कि इस प्रदर्शन के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी जिनको भड़काऊ भाई जान कहा जाता है के पास 3000 करोड़ से ज्यादा वक्फ की संपत्ति हड़पी गई बताई जाती है।